हिमाचल प्रदेश की प्रसिद्ध नदियाँ, हिमाचल प्रदेश की प्रमुख नदियाँ, हिमाचल प्रदेश की 5 प्रसिद्ध नदियाँ इस प्रकार से है।
हिमाचल प्रदेश की प्रसिद्ध नदियाँ । हिमाचल प्रदेश चारों ओर से नदियों से घिरा हुआ एक प्रदेश है। यहां पर बहुत सी नदियां बहती है। जो ऊंचे पहाड़ों से बहती हुई कई स्थानों से गुजरती है। यह आर्टिकल सभी तरह के Exams में पूछे गए प्रश्नों में आपकी सहायता करेगा। इस आर्टिकल में दिए तथ्य को पढ़ लेने के बाद आप सभी को और किसी आर्टिकल पढ़ने की आवश्यकता नहीं रहेगी। हिमाचल प्रदेश की बहुत सी नदियों पर जल विद्युत परियोजनाएं भी बनाई गई है। इस आर्टिकल में हिमाचल प्रदेश की प्रसिद्ध नदियों के बारे में वर्णन किया गया है जिसमें मुख्यतः सतलुज,व्यास, रावी, चिनाब तथा यमुना नदी है।
सतलुज नदी ?
यह छोहारा स्थान पर किन्नौर से शिमला में प्रवेश करती है। यह किन्नौर, शिमला, सोलन, मंडी और बिलासपुर से होकर बहती है।
ब्यास नदी ?
इस का वैदिक नाम अर्जीकिया तथा संस्कृत नाम विपाशा है।इसका उद्गम स्थान रोहतांग दर्रा है। रोहतांग का पुराना नाम भृगु-तुंग है।
इस नदी की दाएं तरफ व्यास नदी का एक स्रोत ‘व्यास रिखी’ तथा बाईं तरफ इसका दूसरा स्त्रोत ‘व्यास कुंड’ है। यह दोनों स्त्रोत मनाली से 10 किलोमीटर दूर ‘पलचन गांव’ में मिलते हैं। राहाणी नाला व्यास का पहला सहायक नाला है। ब्यास हिमाचल प्रदेश में 256 किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद मीरथल नामक स्थान पर पंजाब में प्रवेश करती है।
पुराने समय में लाहौल स्पीति, कुल्लू से जुड़ा हुआ नहीं था इन क्षेत्रों के लोगों ने इन्हें जोड़ने के लिए भगवान शिव की आराधना की तब भगवान शिव ने अपने त्रिशूल से पर्वत को काटकर रोहतांग दर्रे का निर्माण किया।
यह नदी पंजाब में ‘हरि का पतन’ नामक स्थान पर सतलुज नदी में मिल जाती है।
ब्यास नदी को विपाशा क्यों कहा जाता है?
एक बार विश्वामित्र ने ऋषि वशिष्ठ के सौ पुत्रों को मार दिया तो ऋषि वशिष्ठ ने घोर दुख और पीड़ा में खुद को रस्सियों से बांधकर इस नदी ( अर्जीकिया ) में छलांग लगा दी। परंतु इस नदी ने उनकी रसिया खोल कर उन्हें बाहर फेंक दिया। उस स्थान को अब विशिष्ट गांव के नाम से जाना जाता है। तभी से ऋषि वशिष्ठ की रसियां खोलने के कारण इस नदी का नाम विपाशा पड़ गया।
इसके तट पर बसे नगर - मनाली, नगर, कटराइन, रायसन, कुल्लू, पंडोह, मंडी, सुजानपुर, नादौन, देहरा गोपीपुर है
ऋषि नारद, वशिष्ठ, विश्वामित्र, ऋषि जमदाग्नि भारद्वाज, वामदेव, कपिल गौतम, श्रृंगी, व्यास और परशुराम यहां कई बार आते थे।
मुख्य सहायक नदियां - पार्वती, मलाणा, सोलंग, मनालसू, सूजोयन, फोजल, सरवारी, देहर, हंसा, तीर्थन, जीयूनी, सुकेती, सोन, सैंज आदि है।
धौलाधार पर्वत श्रेणी में इसकी सहायक नदियां - अवा नदी कांगड़े में, पालमपुर के पास बने बनेड नदी, कांगड़ा में बाणगंगा, चक्की, गज खड्ड: जो पोंग बांध पर व्यास में मिलती है, लूणी, मनूनी, न्यूगल और सुकेती है।
इसके अलावा हारला - यह कुल्लू के भुंतर में ब्यास में मिलती है।
पार्वती नदी - यो यो मुख्य हिमालय श्रेणी में कुल्लू के मणिकरण के मनतलाई ग्लेशियर से निकलती है। मनीकरण और कसोल तट पर बसे मुख्य नगर है।
तीर्थन नदी - मुख्य हिमालय में कुल्लू से निकलती है यह लारजी में ब्यास में मिल जाती है।
उहल नदी - कांगड़ा की धौलाधार से यह नदी निकलती है। यह नदी मंडी में ब्यास नदी में मिल जाती है।
रावी नदी ?
यह नदी धौलाधार पर्वत श्रृंखला के बड़ा भंगाल (कांगड़ा)क्षेत्र के बादल और तांतगुरी नामक दो हिमखंडों के संयुक्त होने से गहरी खंड के रूप में निकलती है। इस नदी का प्राचीन नाम इरावती है। इसे स्थानीय भाषा में रौती भी कहा जाता है।चंबा नगर इसके किनारे पर बसा है। रावी नदी पीर पंजाल को धौलाधार से अलग करते हुए एक खाई से होकर बहती है।
यह नदी चंबा शहर के साथ बहती हुई हिमाचल प्रदेश में कुल 158 किलोमीटर बहकर खेड़ी नामक स्थान पर पंजाब में प्रवेश कर जाती है।
सिकंदर महान ने इसे ‘हाईड्रास्टर/रहोडिस’ का नाम दिया था। यह पाकिस्तान में चिनाब में मिल जाती है।
रावी नदी की सहायक नदियां -
भांदल नदी - यह पीर पंजाल और धौलाधार पर्वत श्रेणियों के बीच बड़ा भंगाल से निकलती है और तंतगिरी में समा जाती है।
स्यूल नदी - इसका उद्गम स्थान भी पीरपंजाल और धौलाधार श्रेणियों के मध्य ही है।
अन्य सहायक नदियां - बैरा, तंतगिरी, बुद्धिल, तुन्डाह, साहो और चिरचींद नाला है।
चिनाब नदी ?
बारालाचा दर्रे के विपरीत में चंद्र और भागा नदियां उत्पन्न होती है वहां तांदी में मिलकर चिनाब नदी का निर्माण करती है। यह हिमाचल में 122 किलोमीटर बहने के बाद चंबा के संसारी नाला के पास कश्मीर की पोडर घाटी में प्रवेश करती है।यह जल के घनत्व के अनुसार हिमाचल की सबसे बड़ी नदी है।
उदयपुर, किलाड़ डोडा,रामबान, तथा अधिकांश जनसंख्या खोकसर एवं दारचा से लेकर पांगी के संसारी नाला तक बसी हुई है।
चिनाब नदी की सहायक नदियां -
भागा नदी - यह लाहौल घाटी से निकलती है।
चंद्रा नदी - यह चंद्र हिमनद ग्लेशियर से निकलती है। इसके तट पर खोकसर गांव बसा हुआ है।
यमुना नदी ?
यह हिमाचल और उत्तराखंड के मध्य पूर्वी सीमा पर बहती है तथा 22 किलोमीटर सीमा बनाती है।टौंस, पब्बर, गिरी, बाटा, जलाल आदि इसकी मुख्य सहायक नदियां है।
टौंस नदी - यह यमुना की एक महत्वपूर्ण सहायक नदी है। यह देहरादून घाटी में कालसी नामक स्थान पर यमुना में मिलती है। यह नदी सुपिन और रूपिन नामक जल धाराओं से मिलकर बनती है। यह दोनों नदियां उत्तराखंड के नेटवाड़ में मिलती है।
गिरी नदी - इसे गिरी या गिरीगंगा भी कहा जाता है। यह शिमला के जुब्बल नगर के ऊपर कुपड़ चोटी से उत्पन्न होती है, यह सिरमौर जिले को सिसगिरी तथा ट्रांसगिरी दो भागों में बांटती है तथा सिरमौर में बहती हुई मोकमपुर स्थान से यमुना में मिलती है।
जलाल नदी - यह गिरी नदी की सहायक नदी है जो सिरमौर की धारटी श्रेणी से निकलती है।
मारकंडा नदी - यह क्यारदा दून घाटी से निकलती है। इसके तट पर नाहन बसा हुआ है।
आंध्रा नदी - यह पब्बर की सहायक नदी है। जो शिमला के चिड़गांव से निकलती है।
असनी नदी - यह गिरी की सहायक नदी है।
बाटा नदी - यह नाहन चोटी के तल पर उत्पन्न होती है जिसे जलमूसा का नाला भी कहा जाता है।
पब्बर नदी - यह टौंस की सहायक नदी है जो शिमला के चन्द्रनाहन झील से निकलती है।
पटसारी नदी - यह पब्बर की सहायक नदी है यह निचले हिमालय की पहाड़ियों में खड़ा पत्थर नामक स्थान से निकलती है जो शिमला जिले में स्थित है।
अन्य आर्टिकल पढ़ें -
हिमाचल प्रदेश का प्राचीन इतिहास
हिमाचल प्रदेश इतिहास के स्त्रोत
FAQ -
पोंग बांध किस नदी पर बना है ?
व्यास नदी पर।
भकड़ा नांगल परियोजना कौन - सी नदी पर बनाई गई है ?
सतलुज नदी पर।
चन्द्रा ओर भागा किसकी सहायक नदियां है ?
चिनाव नदी की।
कुल्लू ओर मंडी किस नदी के किनारे स्थित है?
व्यास नदी के।
सतलुज नदी किस स्थान पर तिब्बत से हिमाचल प्रदेश में प्रवेश करती है?
शिपकी।
कुल्लू जिले की मुख्य नदियां कौन - कौन सी है?
व्यास, पार्वती, दुधोन ।
बड़ा बंगाल से हिमाचल प्रदेश की किस नदी का उद्गम होता है?
रावी ।
हिमाचल प्रदेश की किस नदी में पानी की मात्रा सर्वाधिक है?
चिनाब ।
व्यास नदी कहाँ से निकलती है ?
रोहतांग दर्रे से ।
बाणगंगा किसकी सहायक नदी है?
व्यास की ।
रामपुर, बिलासपुर, भाकड़ा किस नदी के किनारे स्थित है?
सतलुज ।